Saturday, March 8, 2008

युद्ध तो सदा होते रहेंगे
शांति और अशकंति के ये चक्रव्यूह
चलते रहेगें...............
श्रृष्टि के पाँच तत्व संसार का सृजन
कर यूँ ही मर्दन करते रहेंगे।
और हम , प्रगति के द्वार दस्तक देने को आतुर
विध्वंस का जाल बुनते रहेंगे
कौन, किसको, किसलिए
मार रहा है...............
मृत्यू का ये अनुत्तरित प्रश्न
जाने कब अपने कपाट खोलेगा
शांति का श्वेत दूत
जाने कहाँ मौन विश्राम करता होगा
ज्ञान और विज्ञान के संग्रह
बार बार प्रेरित करेंगें हमें
उन्माद के प्रक्षेपण को
आनन्द और अवसाद के महासमर
यूँ ही अनवरत चलते रहेंगें
युद्ध तो सदा होते रहेंगे
युदध को मिटाने का बीड़ा उठाना भी
युदध का ही प्रतिरूप है।
आयुधों से यूँ ही
हरे भरे मैदान पटते रहेंगे
इसे रोकने के साधन ही
हमें युदध में झोंकते रहेंगें
युदध तो सदा होते रहेंगें
प्रलय का पाश ले मनुष्य
जाने कितने अदृश्य लक्ष्यों ओर
बढ़ने का उपक्रम करता रहेगा
और अंत तो शून्य ही होगा
जहाँ से हम चले थे
शून्य से शून्य की ओर बढ़ते रहेंगें
युद्ध तो सदा होते रहेंगें....
युद्ध तो सदा होते रहेंगें।

welcome

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